एक आलिंगन क्या कर देता
घबराये पुत्र को, पिता का आलिंगन
दिलासा देता
हौसले के टूटे सेतु को पुनः
बांध देता
माँ का आलिंगन कहता
धूप हो तो ठंडी छाँव हूँ मैं
तूफ़ान के गरजते बादलों से
मत घबरा तेरी माँ हूँ मैं
भाई बहिन के आलिंगन
खोये बचपन के गीत गाते
जीवन के किसी पड़ाव पे
रक्षा बंधन की मुस्कान ले आते
प्रेमी का आलिंगन यह यकीन दिलाता
कि भविष्य का सूरज कितना भी हो झिलमिल
मेरी धूप हरदम रहेगी देती दिलासा
प्रेमिका का आलिंगन
कहे पिया से
भरोसा है मोहे , तू मत घबराना
हार भी जाए कभी तो
मेरी भक्ति हमेशा ही पाना
मित्र जब करते आलिंगन
तो बिन कहे कह देते
तेरी मित्रता है बहुत ही प्रिय
आने दे किसी को तेरे निकट
मैं खड़ा हूँ तेरी ढाल बनके
पहले छाती मेरी भेदे
फिर कहीं तेरी ओर आ सकेगा वो तीर
आज भूल गए हम यह
कि एक आलिंगन इतने भाव है जताता
एक बार गले लगालो
किसी का कुछ नहीं जाता
एक की आँख के बदले
दूसरे की आँख लेने से
सिर्फ पूरा जग अँधा होगा
और एक बार गले लगाने से
अन्दर के दानव का गुस्सा
पल भर में ठंडा होगा
क्यूँ भूल गए हम कि
मानवता ,प्रेम बांटो तो बढती है
तानाशाही और नफरत
एक बार गले लगाने से घटती है
चाकू छुरी , हथगोलों से
तबाही तो मचा सकते हैं
लेकिन आज्ञाकारिता
सिर्फ दूसरे के सम्मान से
ही जीत सकते हैं
मैंने आज एक राह चलते को
गले लगाया है
और उसके मुस्कान रूपी
विश्वास को एक बार फिर जगाया है
करो आज जतन तुम भी
इसे अपनी जीवन शैली
में लाने का
बिना किसी कारण
गले लगाने का
और देखो कैसे टूट जाती
है आतंक की कमर
और कैसे आती है खुशहाली
और भाई चारे की लहर
इस का अपने जीवन में
आजसे, अभी से करो सृजन
करो आलिंगन
करो आलिंगन
करो आलिंगन!
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