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आज तो कुछ नया करना है
घबराहट को निकाल के मन से
आज तो नहीं डरना है
नए रंगों से नए चित्रफलक को
उमंगो की कूची से भरना है
खाली गगरी को कल कल बहते पानी
से एक दम मूह तक भरना है
रिश्तो में खटास हो चली जो
उसे मिश्री सा मीठा करना है
उछलना है , कूदना है
झूले में झूलना है
भीग जाना है बारिश में
और सूरज की चमक को दंडवत नहीं
उसका आलिंगन करना है
आज तो कुछ नया करना है
परिवर्तन से डर के कब तक
कोने में छुपा रहूँगा
इतिहास के थमे पहिये की भाँती
कब तक रुका रहूँगा
नयी सोच और नयी कल्पना आएगी कैसे
यदि मैं नयी बेला में पुराने पेड़ सा
झुका रहूँगा
आधुनिक होगी कैसे मेरी रचना
जब मैं पुराने प्याले में
बासी शराब सा घुला रहूँगा
नए ध्वज कैसे लहराएँगे
जब मैं पुराने मैदान में डाटा रहूँगा
अनुभव नवीन कैसे होंगे
जब मैं हरदम सबसे कटा रहूँगा
अब वो घडी आ गयी जब परिचय हो गया
सच्चायी से
नय्या डूबी ,मन घबराया
स्वयं की ही परछाई से
पर कल से पीछा छोड़ चुका हूँ
और नया दिन है, नयी अच्छाई
नया दौर आज से मेरा
और नयी रूह है मुझमे समाई
सावन न भी हो पर ,आज तो
मोर के पंख गिनना है
जंगली घोड़ो के साथ दौड़ के
उंसी स्वतंत्रता में शामिल होना है
शेर की मांड में जाके
उससे नज़रें मिलाने के काबिल होना है
आज तो कुछ नया करना है
आज तो कुछ नया करना है
इतिहास से सीखो पर
हरपल उसे ना याद करो
उसके पीछे आज को और आने वाले
कल को न बर्बाद करो
सर उठाके आगे बढ़ना ही
प्रगतिशीलता का है प्रमाण
आज आँखें न हो बंद
और न ही थकना है
दूर क्षितिज पे दृष्टि हो
और सूरज को तकना है
सब के मन आज तूने अपनी
कविता से हरना है
आज तो कुछ नया करना है
आज तो कुछ नया करना है
आजतो कुछ नया करना है!
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