Dreams

Tuesday, January 25, 2011

गणराज्य Copyright ©

राज पथ पे आज
लाल किले को समझके ताज
सारी तोपें तनी होंगी
नयी वेश भूषा में
गोरखा, गढ़वाल और अन्य टोलियों की
छाती वीरता के तमको से सजी होंगी
झांकियां भी होंगी
हर प्रांत की
बच्चों का भी मेला होगा
राष्ट्रपति भी सलामी लेने
घर से अपने निकला होगा
गणतंत्रता दिवस
को प्रणाम करने के लिए
आज हर भारतीय दिल बोला होगा
जय हिंद जय हिंद का नारा
हर दिल में आज एक अलग ही शोला होगा



पिछले बरस भी यही हुआ था
इस बरस भी वोह ही होगा
गणतंत्र शब्दकोष मात्र का
एक शब्द एक पन्ने में कहीं छुपा होगा
२६ जनवरी को पढ़ा जाएगा
और फूलों से सुसज्जित होगा
बाकी दिन हाहाकार और
दारिद्रय का बस चोगा होगा



इस बरस आओ गठन करें
ऐसा गणराज्य
कि राज पथ सा सुसज्जित
हो इसका हर मार्ग
हो उन तोपों सी हर भारतीय की
छाती तनी
और बच्चों की किलकारी समान
हो सबकी झोली भरी
सैनिक इस बरस न कोई कुर्बान हो
और एकता, सद्भावना और शांति
का हर एक पे वरदान हो
सैनिक की वर्दी सा हो
हर कोना भारत का हर कोना हरा भरा
सड़के सारी स्वच्छ हों
और हर गली हर हुमल्ला चमके
हर स्थान भारत का हो जैसे तमके
मानव मन हो द्वेष रहित और
लहलहा उठे यह अथाह धरा
नेताजी भी सैनिको की भाँती
गर्व से कह सकें " वीर भोग्य वसुंधरा"



इस गणराज्य शब्द को
शब्दकोष में न बस रहने दो
न ही एक दिन बस याद करो
हर दिन देश प्रेम की धारा बहने दो
जो लहू बहा इसे बनाने में
उसका मूल्य पहचानो, रचो ऐसा राज्य
कि विश्व दे सलामी
जन गन मन का नारा बाजे हर ओर
और कहदे
नहीं भारत सा गणराज्य
नहीं भारत सा गणराज्य
नहीं भारत सा गणराज्य!

No comments: