१)
कर दें हुक्मरानों को यह इत्तेलाह
कि आवाम सोया नहीं सुलाया गया है
कर दें हुक्मरानों को यह इत्तेलाह
कि आवाम सोया नहीं सुलाया गया है
वरना सूरज की रौशनी से तो
कायनात शरमा जाती हैं
हुकूमतों का क्या है
हुकूमतें तो इस कायनात का अदना सा हिस्सा हैं
२)
उर्दू नफासत का नाम है
उर्दू इबादत का नाम है
तहज़ीब को अल्फाज़ में जताना हो
तो उर्दू खुदा का कलाम है
३)
उनकी नफरत का तो हमे इल्म था........पर उनके इश्क की शराब का नशा न कर पाए
हम तो रो पड़े उनके इश्क में .....वोह वाह वाह करके चले गए.. मुड़ भी न पाए...
४)
मेरे आंसू भी पानी हैं
उन्ही से तुमने प्यास बुझाई थी
अब क्या रगों में भी
पानी बहाएं
५)
हवाओं से कह दो , परिंदे आयें है
कहो तूफानों से उन्हें चीरने वाले बाशिंदे आये हैं
पंख तो हम फैला ही चुकें है पहले से
बस अब तुम्हारा रुख मोड़ने आये हैं….
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