धम्म से अंगद
धम्म से
बोलो धम्म से
नाचो धम्म से
कोई ललकारे तुम्हारे
व्यक्तित्व को तो
चिल्लाओ धम्म से
तुम्हे कोई नसीहत
दे और बताये यह ढंग है
दहाड़ो धम्म से
कोई अपनी नाकामियों का
तुमपे रंग चढ़ाये
पोंछ दो धम्म से
कोई बांधे तुम्हे
बेड़ियों में
समाज की चाहे रिश्तों की
उड़ जाओ धम्म से
पंख फैलाओ धम्म से
पैर जमाओ धम्म से
इतिहास बनाओ धम्म से
गरज जाओ…धम्म से
बरस जाओ ..धम्म से
कर गुज़र जाओ..धम्म से
हर काम हो धम्म से
हर जाम हो धम्म से
युद्ध हो धम्म से
शंक्नाध हो धम्म से
धम्म से धम्म से
धम्म से धम्म से
अंगद तुम हो
विश्वास तुम्हारा अडिग है
दरबार चाहे जिसका हो
उत्तर तुम्हारा अमिट है
ऐसे धम्म से
छप गया इतिहास में कि
गूँज उसकी अब तक है
ऐसे धम्म से ही
होता हर प्रहार
ऐसे धम्म से ही जीत
ऐसे धम्म से ही हार
तो सब
ऐसा कुछ कर जाओ
धम्म से
कि भूत, वर्त्तमान
और भविष्य
गुर्राए धम्म से
जियो धम्म से
मरो धम्म से
धम्म से
धम्म से
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