Dreams

Thursday, March 4, 2010

हिन्दी . Copyright ©


हिन्दी क्या है?

हिन्दी कौन हैं और कैसे

जन्मी यह हिन्दी?

सजी संस्कृति के माथे पे

चमकती लाल निर्मल बिंदी

हिन्दी!


सौरासेनी प्राकृत जननी इसकी

देवनागरी से उभरी

शब्दावली के पुष्पों से

निखरी इसकी सुरभी।

हिंद की अंतरात्मा

का स्तम्भ

हिंद की संस्कृति की

जटिल संरचना का आरम्भ

इस धरती की सभ्यता

की आधारभूत जडें

क्या हुआ

आज यदि कोई इसे नहीं पढ़े।

शक्ति इसमें ऐसे कि

अथाह धरती में फैले

हिंद को जोड़ दे

सीमाओं की परभाषा

को यूँ ही मरोड़ दे

उत्थान की ओर पग बढ़ाये

और जीर्ण हो गयी सभ्यता

को पीछे छोड़ दे।


आलिंगन कर हे, हिन्दी

इस को स्वीकार कर

विदेशी ज्ञान से पहले

हिन्दी को प्यार कर।

ज्ञात नहीं अभी तुझे कि

इसमें कितनी शक्ति है

तेरे आराध्य तक तुझे पहुंचा दे

इतनी इसकी भक्ति है।

हिन्दी जो अपना सके

वोह सही रूप से हिन्दी है

हिन्दी ही तेरे व्यक्तित्व पे

अलंकार रूपी बिंदी है

हिन्दी ही तेरे व्यक्तित्व पे

अलंकार रुपी बिंदी है.!