Dreams

Thursday, March 18, 2010

अद्भुत संध्या ! Copyright ©.


किसी ने कहा मुझसे
कि मेरे विचार रोते हैं
और शब्द मेरे
अक्सर गुस्से में होते हैं.
तो मैंने सोचा आज किसी को न रुलाऊँ
सच्चाई से अवगत न कराऊँ
बस शब्दों की ताल पे झुमाऊं
और वाक्यों के सुर को सुनाऊं
हर अनुच्छेद के उतार चढ़ाव पे
बस खुशियों की बेला हो
और हर सहगान पे रंगारंग मेला हो।


आज बड़ी कमाल कि शाम थी

शीतल पुरवाई के झोकें में

दूर उड़ते पंछियों की चाल थी

डूबता सूरज भी कह रहा था

बालक मुस्कुरा

मैं ढल रहा हूँ तो क्या

चाँद से मेरी रौशनी उठा

और फिर उस चांदनी की चादर को ओढ़

कल सुबह तक सुकून से सो जा।

सारे बुरे ख्यालों को छोड़ दिया

बस आँखें बंद की, और गुनगुनाया

धन्यवाद हे सूर्य देव

मुझे अपनी मुस्कान से अवगत कराया।

बस उस ही पल एक भंवरा मेरे

कान में भिनभिनाया

और मुझे इस जीवन के

मधुर संगीत का सुर सुनाया

बोला…..भिन्ना भिन्ना

विचार आयेंगे तेरे मन में

कुछ बगावत के कुछ

कुछ उलझन के

पर तू हरदम मुझे सुनना

और बस जीत की ओर ही मूह करना

न डरना

फिसले तो भी…..बस फिसल्के भी संभालना

और बस हल्का सा पैर पे काट के चल दिया।

पैर को सहलाने के लिए झुका तो

बसंत का पहला फूल देखा

वोह भी आज उपदेश के भाव में था

जीवन के हर सवाल को

मुझे सुगन्धित जवाब के रूप में

समझाने के ताव में था

उसकी ओर कान बढाया

व्हो भी मुस्कुराया

और फरमाया

बसंत ऋतु के मेरे जन्म से कुछ सीख

हर शरद ऋतु के सम्पन्न होने पर ही

अभुध्यान होता है

सर्दी की तपस्या के बाद ही

रंगों का उधान होता है।

तपस्या को न भूल

पर गौर कर रंगों पर

चेह्चाहती चिड्याओं के पंखो पर

और धरा पे सौंदर्य फैलती

तितलियों के ढंगों पर

इन छोटी छोटी चीज़ों में

जीवन को जी

और प्रकृति के हर सौंदर्य को

अपनी लालाहित आँखों से पी

और वोह भी चल दिया

ऐसे शुध्ह अनुभव को

मैंने बटोरा और

घर की ओर प्रस्थान किया।


ऐसे निष्कपट छोटे छोटे

अनुभवों को मैं भूल

गया था

दौड़ते दौड़ते थक गया था

पर आज की शाम मुझे

हमेशा याद रहेगी

याद यह कि मैं जीवित हूँ

पथभ्रष्ट हो गया था तो क्या

आज खुले आसमान में

भी न सीमित हूँ

बड़े चाव से

अब मैं जियूँगा

और सारे छोटे छोटे

सपनो को अपने

जीवन सूत्र में सियूँगा

इश्वर के इस वरदान

के जाम को मादकता की

पराकाष्टा तक पियूँगा

आज से हर दिन

एक नए अनुभव का स्रोत होगा

और मेरी कविता का हर

वाकया भी उसी अद्भुत अनुभव

से ओतः प्रोत होगा

मेरी कविता का हर

वाकया भी उसी अद्भुत अनुभव

से ओतः प्रोत होगा.!

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