Dreams

Saturday, March 13, 2010

स्वाधीनता संग्राम...! Copyright ©.


क्या सिर्फ मृत्यु ही

स्वतंत्र होने का एकमात्र द्वार है?

क्या जीवन में कोई नहीं ऐसा

जो स्वतंत्रता का मार्ग है?

स्वाधीन होके जीने के लिए

क्या है कोई प्रक्रिया?

यदि है तो कृपया दिखा दो

मुझे भी वोह दिया!


जहाँ हार का भय न हो

न हो विचार व्यक्त करने की ग्लानि

या फिर औपचारिकता का मुखौटा

और राजनैतिक ज़ुबानी।

जहाँ दौड़े विचारों के घोड़े

खुले मैंदान में

और पवन के मंद झोंकें

उमंगो को उड़ान दें

जहाँ मदिरा के आभाव में भी

मादक हो मन

और प्रसन्नता की ताल पे

बाजे हर तरंग।

विश्वास के गरुड़ पे

पंख फैलाती हुई चाह

और हर सांस पे

सुंगंधित फूलों की राह।

न हो जहाँ एक पल की भी उदासी

और न ही

स्वयं को हरदम सिद्ध करने की फांसी।

जहाँ समय चक्र थम जाए

और भाग्य का हथौड़ा न छू पाए

है ऐसी स्वाधीनता का कोई द्वार

यदि है तो


लगा दो मेरी भी नय्या पार


जारी है मेरा व्यक्तिगत

स्वाधीनता संग्राम

खुली हवा में सांस

लेने का अभिमान

विचारों से जीवन के चित्रफलक

को रंग देने का उत्साह

और छोड़ देना

सांसारिक रूप से जीवन निर्वाह

पूछ रहा अभी प्रशन मैं

की मुझे बता दो अगर ऐसा कोई

राह है

पर मन का मंदिर कहता है

की मिलेगा मुझे इस

बंदी जीवन से विश्राम

और पूर्ण होगा शीघ्र ही

मेरा व्यक्तिगत स्वाधीनता संग्राम

पूर्ण होगा शीघ्र ही

मेरा व्यक्तिगत स्वाधीनता संग्राम।

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