जंगली घोड़ो को देखो कभी
खुले मैंदान में दौड़ते
ऐसे असीम बल को झलकाते
और उनके पैरो के नीचे
धरती के खड़े रौंगते ।
इन अश्वों के सामान
दौड़ने की इच्छा है
खुले आसमान के नीचे
सबको पीछे छोड़ने की इच्छा है।
शक्ति को संतुलित करने से पहले
उस शक्ति की सवारी हो जाए
कि मैं भागूं
और धरती थर्राए!
फूलती रगों के
अन्दर ज्वाला मुखी सा
ताप दौड़े
और वेग इतना हो कि
तूफ़ान रूपी अपनी छाप छोड़े
दृष्टि टिकी हो दूर क्षितिज पे
पराक्रम ऐसे कि
अश्वमेध भी हो शर्मिंदा
अलाय ऐसे लहराए जैसे
दूर गगन में स्वतंत्र परिंदा
खुरों के चिह्न इतने हो गहरे
कि इतिहास न मिटा सके उनकी छाप
हिनहिना ऐसे दूँ कि
मानो हो विजय का आलाप
स्वाधीनता का सही मापदंड हो
मेरी दौड़
और उसके आगे सब लगे प्रोढ़।
इन अश्वों की शक्ति से ही
हम जीवित है
कुछ बात है इनकी
अपार शक्ति में
जो खींच लाती है
हमे हर परेशानी से
जीवट का स्रोत है यह शक्ति
अश्वा चिह्न है
इस बात का
दृढ़ता, स्वाधीनता और प्रवाह का
दौड़ते रहो जब तक
मृत्यु गले न लगा ले
डटे रहो जब तक
सांस न दगा दे
और पारंगत हो जाओ
इस कला के
प्रारंभ हो चला मेरा
अश्वमेध
तब तक , जब तक
विजय का ध्वज न लहरा दें
अश्वमेध मेरा जब तक
विजय का ध्वज न लहरा दें!
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