कभी मृत्यु पायी है
नहीं न?
इसीलिए ज्ञात नहीं
कि जिस दिव्य ज्योति
की सब बात करते है
वोह क्या है ?
क्या वोह जीवन
का चरम सत्य है
या फिर इश्वर साक्षात
या फिर ब्रह्माण्ड से मुलाकात
या फिर आत्मा का परमात्मा से मिलन
या फिर एक नए जीवन की शुरुआत ?
परमात्मा की खोज में है सब
मोक्ष पाने के शोध में हैं सब
कोई आराध्य को पुष्प चढ़ाता
कोई हर हर महादेव चिल्लाता
कोई अल्लाह-उ-अकबर का नारा लगाता
सब ने बस सुना है कि वो ज्योति है
और बस अंतिम समय में प्रकट होती है
योग साधना से मूलाधार को चमकाते
और कर्म न करके समाधी में बैठ जाते
वर्णन उसका हर ग्रन्थ हर वेद में है
परन्तु रहस्यम और भेद में है
मैं बतलाता हूँ तुम्हे वोह क्या है होती?
आँखे बंद करो और देखो दिव्य ज्योति।
ब्रह्मा मुहूर्त में जाग के देखो
मन के अन्दर का मैल बाहर फेंको
घ्रिना, द्वेष और कपट को
शरीर से त्याग के देखो
स्नान ध्यान हो जाए तो करलो
आँखे बंद
और निकाल के रख दो
अपने आध्यात्मिक होने का भी घमंड।
भूल जाओ परमात्मा को भी
मन में बस शून्य हो
भीतर झांको, स्मरण करो स्वयं का
चेतना जागेगी और स्पंदन होगा
उस शून्य से एक ऊर्जा का उदगम होगा
मन, मस्तिस्क ,आत्मा में प्रवाह होगा
एक नए ब्रह्माण्ड की रचना होगी
अंकुर फूटेगा जीवन का
और एक हलकी सी ध्वनि की घोषणा होगी
उसी ऊर्जा से मस्तिष्क में एक
सूर्या उदय होगा
और सत्य से परिचय होगा
सत्य तुम्हारा , तुम्हारे ब्रह्माण्ड का
आलोकित होती तुम्हारी आत्मा
और अमृत धारा बहती नसों में।
यह ही है आलोक
उस ज्योति का
यह ही सत्य है
यह ही है सांसें और
यह ही रक्त है
स्वयं ही
में छुपी है वोह ज्योति
बस ढूँढने की देर है
परमात्मा से नहीं
अपने भीतर है होती
व्हो ज्योति
अमर ज्योति
दिव्य ज्योति।
1 comment:
So deep thought....
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