Dreams

Friday, March 5, 2010

मियाँ मक़सूद और पंडित राम खिलावन.....Copyright ©.


गोधरा का काण्ड तो सुना ही होगा

सांप्रदायिक दंगो से

मत बटोरता सरकारी सांड तो

तुमने भी चुना ही होगा।

बापू की धरा पर

जब लहू की धार से गीला था जीवन

ठीक उस से एक दिन पहले

दो मित्र मिले थे चाय की दुकाप पे

मियाँ मक़सूद और पंडित राम खिलावन।


चाय की चुस्कियों और पुरानी यादो के संग

रोज़ गले मिलके गाते थे बस एक ही तरंग

शेहेर भर में इनकी दोस्ती की बड़ी मिसाल थी

पंडितजी के घर हर ईद के दिन सिवैयां बनती थी

और हर दिवाली मियाँ जी के हाथ पूजा की थाल थी।

परन्तु उस दिन दोनों बड़े परेशान थे

मिया जी की दाढ़ी के बाल पे

मेहँदी का रंग नहीं चढ़ता था

और पंडित जी की चोटी की

उनका पुत्र इज्ज़त नहीं करता था।

बस अपनी इसी समस्या को सुलझाने

दोनों पहुंचे अपनी प्रिय चाय की दूकान पे.

“ यार पंडित, मैं कुछ अजीब हूँ”

मेरी दाढ़ी पे मेहँदी का रंग ही नहीं चढ़ता

और आजकल तो मोहतरमा को इस से फर्क भी नहीं पड़ता.”

पंडित बोले

“ अरे मिया, तेरी समस्या तो चुटकी में सुलझ जाए

काली मेहँदी लगा ले , मजाल है की वोह उतर जाए”

मेरी पूर्वजो से आ रही इस पंदैतायी के इक प्रमाण का क्या करूँ

मॉडर्न हो गए पुत्र के फैशन का कर मन कैसे भरूं।".

मियां बोले

"अरे मेरी तरह टोपी लगाया कर

पंडिताई भी बचाएगा और और बेटा मॉडर्न भी बुलाएगा। "


बस इन छोटी छोटी बातों से दोनों का दिल बेहेलता था

और अपनी छोटी सी सुकून भरी ज़िन्दगी से ही उनका जीवन मेहेकता था

परन्तु उस दिन उन्हें ज्ञात नहीं थी कि

साज़िश रची जा रही थी

उनके आराध्य अलग है बस इसीलिए

इन्सानियत कुचली जा रही थी।


बस वोह यारों कि शाम थी

और आज का दिन है

खून से लाल न रंग जाए

बस इसलिए मियां मक़सूद दाढ़ी ही नहीं उगते

और चोटी देखके सर ही कलम न हो जाए

इसलिए पंडित राम खिलावन पंडिताई ही नहीं जताते।

हर शहर में यह ही किस्सा था

हर धर्म का हर मानव एक दूजे की

छोटी सी ज़िन्दगी का हिस्सा था।

लेकिन खून बेचते , आतंक सींचते

इन सियासती ठेकेदारों ने

आपसी विशवास की छाती ही भेद दी

इन्सानियत और भाईचारे कि गरिमा ही छेद दी।


मियां मक़सूद आज भी

याद कर रहे पंडित राम खिलावन को

उनके अन्दर के राम को ,न की रावण को।

पंडितजी का धर्म उनकी चोटी से नहीं

मियां जी को गले लगाने में है

और इन दोनों का कर्म

देश को बुलंदियों तक पहुँचाने में है।

और इन दोनों का कर्म

देश को बुलंदियों तक पहुँचाने में है।

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