Dreams

Monday, July 26, 2010

धमाका !!! Copyright ©


धैर्य , विश्वास और

समय की चाल के साथ

चलते जाना ही मार्ग है

चेष्ट, प्रयास और कर्म

का धागा पकडे रहना ही

मार्ग है

लेकिन कभी जब यह सब

करने पर भी न हो सपने अवतरित

न हो जब एक रौशनी भी

सुरंग के उस पार प्रतीत

जब चहुँ ओर हो स्थाई होने का

सन्नाटा

तब एक धक्का चाहिए

और एक ज़बरदस्त धमाका


ज्ञात है तुझको

कि तू सारे कर्म है कर रहा

सारी निष्ठां सारे प्रयास

से तू बढ़ रहा

फिर भी गतिहीन है तू

और तेरे स्थाई होने से

मन है विचलित

जैसे ठहरे पानी में

रोग के कीटाणु जन्म लें

धैर्य का बाँध जब टूट रहा हो

और विश्वास का दामन छूट रहा हो

तब आवश्यकता है एक धमाके के

एक धमाका जो सब उथल पुथल कर दे

और उस गति को पुनः स्थापित करदे

करदे प्रक्षेपित पुनः वो विश्वास

का तीर

जिस से मेघ भी गड़गड़ाके बरस पड़ें

और तेरे जीवन की सूखी धरती

को पुनः सींच दें

न हो कोई शून्य न हो कोई

सन्नाटा

ऐसा एक चाहिए तुझे धमाका


परन्तु यह होगा कैसे

स्वयं?

या देव आ के कर जायेंगे?

सोच बदल और अपने

सुरक्षित क्षेत्र से निकल बाहर

जहाँ तुझे थोडा भय लगे

घबराहट हो

और तू डरे.

आँखे बंद कर और

लगा छलांग

पूरे दम से दहाड़

और सोच के सागर से

निकाल वोह अद्भुत

हथगोला और वो बारूद

जिसे तूने छिपा रखा है

तेरे मन के ताबूत

और सब भूल के

लगा मौत सा ठहाका

जिसे भय न हो किसी का

कर दे धमाका

अपने जीवन का धमाका

एक नयी गति का धमाका

धमाका

1 comment:

Mukta Bhardwaj said...

hi, Anupam, You write so well and yes i agree with this, i quote,'pehle Swa Ichcha phir Dev Ichcha' nirantar aage badhne ke liye aksar dhamako ki aavyashakta hoti hai isiliye krodh, eersha,ahankar ke atirikt bhi aage badhne ki dhun ham sab me hoti hai, bas zaroorat hai DHAMAKE ki.All the best, mukta