Dreams

Friday, July 30, 2010

श्रद्धांजली नहीं...आलिंगन !!!Copyright © ( मेरे शिव हो गए मित्र क लिए )


कौन कहेगा तू चला गया

और किसने कहा तुझे हमने

भुला दिया

तेरे आँखों की रश्मि

आज भी यहाँ हमे दिखा

रही है राहें

तेरे स्नेह की गर्मी

हैं हमारी, हैं

तेरी वो ही खुली बाहें


देता है जो दे श्रद्धांजली

चढाने दे फूल

तेरे चिराग को न बुझने देंगे

याद तेरी तब आएगी

जब देने देंगे तुझे भूल

हम तो कर रहे आलिंगन

तेरे विचारो और सद्भावना

भरे दिल का स्वागत

उसका अभिवादन

तेरे चमकते चेहरे के

तेज से तू हम सबके जीवन

चमका रहा

अपनी आत्मा की सारी पवित्रता

हम सब पर फैला रहा

भूल नहीं सकते तेरी वो

मदमस्त चाल

तेरा वो हल्ला, तेरी वो चुप्पी

हस्ते रहेंगे तेरे नाम पे

मेरे “ अप्पी”, हमारे “अप्पी”


अरे शिव हो गया तू तो क्या

हम तो आज भी तुझे

तेरे नाम से करें संबोधित

“कार्तिक” से तेरी गरिमा

“ कार्तिक” से तू सुशोभित.

न हो शोकाकुल मेरे मित्र

न हो दुखी

यहाँ सबके जीवन में

प्रत्यक्ष है तेरा चित्र


हम सुनायेंगे सब को

हम बताएँगे सबको

तेरे अद्वीतीय , दैविक

अनुभवों को

हम करेंगे साकार

सारे तेरे सपनो को

कोई दया दिखाए कभी भी

तो हम चिल्लाएँगे

कि तू गया नहीं

तो जा नहीं सकता

तू तो पूरा ब्रह्माण्ड है

कहीं समां नहीं सकता


यदि कोई करे तुझे याद

और छलका उसका एक भी अश्क

तो हम बतलाएँगे उसको

कि तुझे हसना पसंद है

कोई तेरे नाम से आंहे भरे

तो हम बताएँगे उसे

कि तुझे चिल्लाना पसंद है

कोई दे श्रद्धांजली

तो बताएँगे तुझे

गले लगाना पसंद है


याद न करो

महसूस करो

शोक मत मनाओ

उसकी तरह हँसा करो

परेशां हो मन तो

रो मत जाओ

उसकी तरह

स्तम्भ बन जाओ

उसपे श्रद्धांजली नहीं

आलिंगन चढाओ

आलिंगन चढाओ

No comments: