Dreams

Thursday, April 8, 2010

मेरा उत्तर कब मिलेगा? Copyright ©.


प्रश्न चिन्ह है मेरे मुख पर

अनंत काल से यह चल रहा

प्रतिदिन उठके देखूं मैं यह

चेहरा मेरा ढल रहा

घबराई आँखें

मौन जिव्व्हा

डरी आवाज़ , सुन्न दिमाग

खोखली हसी और

बुझते चिराग

ढलता नूर और परेशान काया

सब के सब ये पूछ रहे

कि कब बरसेंगे काले बादल

सूरज कब चमकेगा

और प्रश्न चिन्ह जो सजा है मुख पे

मेरा उत्तर कब मिलेगा?


इतनी सारी राहे हैं और

मंजिलों का कोई पता नहीं

हर चौराहे पे आके खड़ा हो जाता

सारी दिशाएं हैं भ्रम भरी

उलझन होती प्रतिपल मुझको

समझ नहीं आती यह बात

कि ऐसी मनोस्थिति पे खुल कर हस दूँ

या रोदूं इतना कि जल प्रलय आये विराट।

देखूं इधर उधर मैं हरदम

सब कैसे गतिशील है

उन्नती की राह पकडके

कैसे दौड़ रहे, हर्शील हैं

क्या पता है इनको जो

मुझको ज्ञात नहीं

क्या छुपा है इनमे और

मेरी क्यूँ यह औकात नहीं

कहता खुद से हर प्रयास के बाद

करता तो तू सब है लेकिन

कुछ तो गलत हो रहा

समय,काल, परिस्थिति का है

रोड़ा आगे पड़ा हुआ

प्रश्न ही प्रश्न कब तक करेगा

मेरा उत्तर कब मिलेगा?


उत्तर यह की क्या है मंजिल

और कौन रास्ता

कैसा प्रयास

मुझे क्यूँ नहीं मिलता जो मैं चाहूँ

समय का जब भी हो एहसास

समझा लेता खुदको मैं कि

शायद तेरा मकसद है बहुत बड़ा

और हर हार के साथ राह खुल रही

और उसी राह मैं तू चल पड़ा

सारे द्वार बंद हो रहे क्यूकि

उस राज्य द्वार पे जाना है

जहाँ खुली सांस और चमकते सूरज

पे ध्वज तूने लहराना है।

पर अब मन विचलित है

दिल घबराता , आँखे होती नम

कुछ भी करलूं,

यह घबराहट न होती कम

प्रश्नों का पलड़ा भारी हो रहा

घुट रहा अब मेरा दम

अब तो कुछ भी कर दूंगा मैं

जो भी मुझे करना पड़ेगा

बस इतना उत्तर दे दो मुझेको

कि मेरा उत्तर कब मिलेगा

मेरा उत्तर कब मिलेगा

मेरा उत्तर कब मिलेगा?

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