चिल्ला चोट मची हर ओर
विज्ञापन भी करते शोर
नेता चीखें, अभिनेता भी
भाषण का है बाजे ढोल।
इसके बीच खड़े वो लोग
जो बदल देते दुनिया को
बार बार लाठी खा के
चुप रहते सहके अपने घावों को
शक्ति इनमे कहाँ से आती
इतनी कि यह सब सह जाएं, यह हैं कौन
यह वो हैं जो चुप्पी साधे, सोना उगलें
यह वो, जो रहते मौन!
देखो कैसे मौन होकर है कमल खिला
मूक होके भी फैलाता सद्भावना सदा
मौन बैठे हिमालय को देखो ज़रा
ताने सीना ऐसे कि दुश्मन
को हर बार होना पड़ा भाग खड़ा
थामे अन्दर तूफ़ान शंकर की भांति
मौन है प्रशांत भी
और उसी मौन का धारक है
ये अथाह आसमान भी।
क्यूकी बांध जो टूटे कभी
तो हिमालय ऐसी दहाड़ लगता है
कि मौन हो जाता जो इसे ललकार दिखाता है
वरुण देव जब तोड़ें अपना मौन
तो वो प्रशांत भी जल प्रलय फ़ैलाता है
मूह खोल देता आकाश भी
और बरसाता गोले अकस्मात् ही।
कुछ कारणवश ही इन सबने धरा मौन व्रत है
शक्ति का संतुलन बना रहे इसीलिए यह प्राण है
मौन में जो अपार शक्ति है उससे हम भी कुछ सीखें
हिला दें उनका प्रयास जब भी दुश्मन चीखे।
एक धोती और चुप्पी साढ़े महात्मा के
मौन ने ही अंग्रेजों को भाग खड़ा किया
और पच्चीस साल के उसके मौन ने अफ्रीका में
काले गोरे के भेद भाव बेचने वालों को डरा दिया।
प्रभोधन का एक मार्ग है ये मौन
बुद्ध हो गए सिद्धार्थ से अच्छा यह जाने कौन
योग साधना से बढ़कर कभी कभी होता यह सन्नाटा
अद्वैत वेदांत कहे
आत्मा नियंत्रण का नहीं ज्ञान यदि तुझे मौन करना जो नहीं आता।
बोल देने से हरदम विश्व में बदलाव लाया कौन?
परिवर्तन तो वो लाये कर्म कर गए पर रहे मौन।
मौन स्वर्ण है
मौन श्वेत है
अद्भुद संगीत है मौन।
मौन बुद्ध है
मौन ही ब्रह्मा
शिव का डमरू है मौन।
मौन साधना
मौन योग भी
और मोक्ष भी है मौन।
मौन है शक्ति
मौन है भक्ति
और आराध्य भी है मौन।
मौन ही तरकस
मौन धनुष
और ब्रह्मास्त्र भी है मौन।
जो राह दिखाए
दृढ़ता दिलाये
ऐसा अमृत है और कौन
मौन
मौन
बस मौन!
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