कैसे बताए कोई
किसी को कितना है प्यार उस से
कैसे दिखाए कोई
कि कितनी कद्र है उसकी
और कैसे , कि वो भांप जाए
कि उसकी परछायी
ठंडी छाँव है
और कैसे कि स्वर्ग बने जा रही धरती
जहाँ रखते वो पाँव है?
कैसे बताए कि आँखें बंद हों तो
हर सपना बिन उसके अधूरा है
और कैसे कि उसकी चांदनी से ही
उस का चाँद पूरा है
कैसे बताए कि
क्या है उसकी भक्ति
कि दूर क्षितिज पे खोखली निगाहें
उसके आने की राह है तकती.
कैसे?
कैसे दर्द व्यक्त करें
जो उसके एक निर्दयी बोल से होता है
और कैसे कि एक पुचकार, एक आलिंगन
कैसे मिश्री के घोल सा होता है
कैसे बताएं कि एक पुकार लगा दे कोई
तो गहरे समुन्दर से मोती
निकाल लेन का जोश सा आता है
और कैसे कि उसके देखने भर से
शरीर मादक और मन मदहोश सा हो जाता है?
सारी इछाएं कैसे तितलियों की भांति उड़ पड़ती है
जब वो कहते कि मैं हूँ…
कैसे भय दुबक के बैठ जाता है
जब वो कहते है कि मैं हूँ...
और कैसे हर्षित दिल प्रक्षेपास्त्र की भाँती
निकल जाता क्षितिज के पर
जब वो कहते हैं कि मैं हूँ....
कैसे तोलें प्रेम को और
अनुमान कैसे लगायें इसके आकर का
कैसे नापें इसको
होता यह भांति भांति प्रकार का
और भावो को व्यक्त कर भी दें हम
पर कैसे बताएं जब यह प्रकट हो जाता
निराकार सा।
कैसे?
गीत बने हैं कितने सारे
प्रेम, प्यार हमारे तुम्हारे
नदियाँ पहाड़ और ये सारे तारे
और खुशबू फूल और यह बहारें
इन्द्रधनुष और सारी कलियाँ
इधर , उधर की सारी गलियाँ
पर कैसे बताएं वो जो हैं कहना चाहते
कैसे , जिन भावनाओ की लहर में बहना चाहते
कैसे बताए जग जीत लेंगे
लौट आओ
और कैसे यह कि प्राण दे देंगे
जो तुम न आओ
कैसे कि वो तो सुगंधों की बेला है
और कैसे कि वो न हो तो भीड़ में भी एकदम अकेला है
कैसे बोल दें कि दर्पण भी गौरव से चमक उठे
जो उसका प्रतिबिमं अपने चेहरे पे देखे
कैसे कि बारिश की बूँदें भी राग छेड़ें
जब वो अपनी चुलबुलाहट चहुँ और फेंखे
कैसे?
यह सब कैसे बताएं
वो देख नहीं सकते?
कैसे चमकें
क्या वो यह स्नेह की गर्मी
खुद ही सेक नहीं सकते?
उम्र न बीते यह समझाने में
क्या वो सुन नहीं सकते
जो हम कह नहीं सकते?
क्या शब्द लिखें जो यह बता सके
अधरों के थिरकने
और दिल की जुबान तो पढ़ नहीं सकते
कैसे बताएं
कैसे
कैसे?
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