Thursday, April 1, 2010
कायरता या बुद्ध Copyright ©.
ज्ञात हैं हमें कि हर भाव
इतना शक्तिशाली होता है
कि वो आपका जीवन
बदल दे
असीम शक्ति का
प्रमाण है भाव
व्यक्त न भी हो सके तो
क्या
है वो ही प्रणाम
जो पशुओं और मनुष्य में
करता है चुनाव
एक ऐसा ही भाव है
कायरता।
कायरता, बुजदिली
या जो भी कह लो
अद्भुत शक्ति है इसमें
जो काया पलट दे
और साधारण से
असाधारण , अनुपम में बदल दे
भय हो जब हार का
कुछ करने की न जब शक्ति हो
न हो इश्वर पे विश्वास
करने की क्षमता
न कर्म की भक्ति हो
हाथो से रेत के प्रकार
निकलते जीवन
को थाम लेने का न हो जब शौर्य
और न ही
तूफ़ान के थम जाने की प्रतीक्षा का धैर्य
अपनी क्षमता पे जब न हो विश्वास
और जब हार के डर से थम जाये प्रयास
न हो जब वास्तविकता के थप्पड़
का सामना करने की हिम्मत
और बिखरती ज़िन्दगी को समेटने की शिद्दत
जब ह्रदय में हो घबराहट का भूकंप
तब जागती है एक ऊर्जा
क्रोध और कुंठा से लिपटी ज्वाला
स्वयं से दृष्टि न मिलने से
जब मन हो दुखी
तब खिलता है कुछ कर गुजरने का
ज्वालामुखी
महापुरुषों का जीवन देखो
सब कायर थे
अपनी कायरता की अनुभूति हुई
फिर उसपे विजय पायी
और इस जीत की शक्ति से उन्होंने
इस विश्व में एक अद्वितीय
बिजली दौडाई
दिव्य ज्ञान की ज्योत जलाई
और उसी मशाल से
सारी दुनिया चमकाई
अपनी व्यग्तिगत कायरता के दम पे
देखो कैसे
स्वर्ण अक्षरों से
इतिहास में अपनी जगह बनायी
यदि तू कायर है
और तू यह जानता है
तो भय न कर इस बात का
विजय समारोह मनायेगा
समय कटे जब इस रात का
ग्लानी न हो कभी तुझे
कि तू कायर है
और ना ही लज्जा हो इस बात की
कि तुझे यह एहसास है
कि तू कायर है
बस हिम्मत कर ले एक दिन
विजय पाले उस कायरता पे
फिर देख यह भाव तुझे
कहाँ से कहाँ लेके जाता है
और कैसे तेरा विजय बिगुल बजाता है
भाग्य कैसे चमकाता है
और कैसे तुझे इतिहास
कायर नहीं
बुद्ध बुलाता है
बुद्ध बुलाता है
बुद्ध बुलाता है!
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